[ Featuring Arijit Singh ]
तेरे बिना मर्ज आधा अधुरा है
इक धुंध है शाम है ना सबेरा है
तन्हा हूँ मैं फिर भी तन्हा नहीं
डर ये है के फ़ना हो ना जाऊं
आजा ना
निगाहों से इल्जाम दे
अदाओं से पैगाम दे
कोई तो मुझे नाम दे इश्क है बदगुमां
आजा ना
निगाहों से इल्जाम दे
अदाओं से पैगाम दे
कोई तो मुझे नाम दे इश्क है बदगुमां
तू नदी का किनारा
गुमनाम सा मैं हूँ सफ़ीना
तु हैं मौसम बहारा सुखी सुखी मैं हीना
जान मेरी है फसी एक मुलाकात में
कैसे मैं अब जिउ ऐसे हालत में
सर पे गम का है जो आसमां
तेरे बिना मर्ज आधा अधुरा है
इक धुंध है शाम है ना सबेरा है
तन्हा हूँ मैं फिर भी तन्हा नहीं
डर ये है के फ़ना हो ना जाऊं
बेसबर हो रही है ये मेरी बाहें
तू कहाँ है
बेनज़र हो रही है ये निगाहें
तू कहाँ (तू कहाँ)
अपने दिल से मेरा हक मिटा ने लगे
मेरे हर खवाब को तुम जलाने लगे
दिल में भरने लगा है धुंआ
तेरे बिना मर्ज आधा अधुरा है
इक धुंध है शाम है ना सबेरा है
तन्हा हूँ मैं फिर भी तन्हा नहीं (तन्हा)
डर ये है की फ़ना हो ना जाऊं
आजा ना
निगाहों से इल्जाम दे
अदाओं से पैगाम दे
कोई तो मुझे नाम दे इश्क है बदगुमां