ज़ाहिर करू मैं जो बातें वो सुनो
क्यूँ मैं कहु उनको ये भी तो जान लो
बावरी सी बनके फिरती हूँ यहाँ वहाँ
इधर उधर
जैसे हूँ मैं खोई तेरी यादों में बस
ज़ाहिर करू मैं जो बातें वो सुनो
दिल बेफ़िज़ूल कहानी बुन रहा है
मंज़र नही बस ये राहें चुन रहा है
बावरा सा बनके फिरता है यहाँ वहाँ
इधर उधर
अनकही तेरी बातों में ढूंढ़ता है घर
लाखों दफ़ा मैं जो कह दूँ फिर भी
बातों में बातें ये सारी यूँ घुल रही
क्यूँ खामखा इश्क़ हो गया है
आँखों में तेरी मैं ख्वाबों को बन रही
आ आ आ आ (ओ ओ)
ज़ाहिर करू मैं जो बातें वो सुनो