मेरी बाहों को
तेरी साँसों की जो
आदतें लगी हैं वैसी
जी लेता हूँ अब
मैं थोड़ा और
मेरी दिल की रेत पे
आँखों की जो
पड़े परछाई तेरी
पी लेता हूँ तब
मैं थोड़ा और
जाने कौन है तू मेरी
मैं ना जानू ये मगर
जहां जाऊं मैं
करून मैं वहाँ
तेरा ही ज़िक्र
मुझे तू राज़ी लगती है
जीती हुई बाज़ी लगती है
तबियत ताज़ी लगती है
ये तूने क्या किया
मैं दिल का राज़ कहता हूँ
के जब जब सांसें लेता हूँ
तेरा ही नाम लेता हूँ
ये तूने क्या किया