हाल दिल का सुनाएँ तो कैसे
राज़ अपना छुपाये तो कैसे
आग ऐसी लगी जो बुझ न सकी
अभी दामन बचाए तो कैसे
हाल दिल का
आये आँसू तो पी लिए हमने
होंठ कांपे तो सी लिए हमने
खुल के आहे तो भर नहीं सकते
ज़ख़्म दिल का दिखाए तो कैसे
हाल दिल का
ये पता है के बेख़ता है हम
फिर भी तो हमत है बेवफा है हम
हमसे किस्मत ने बेवफाई की
ये हकीकत बताये तो कैसे
हाल दिल का
दिल की बस्ती उजड़ तो जाती है
बात बन कर बिगड तो जाती है
जब मुक़द्दर ने साथ छोड़ दिया
फिर ये बिगड़ी बनाये तो कैसे
हाल दिल का