[ Featuring Mohammed Rafi ]
कबिरा निर्भय राम जप
जब लग दीवे बाती
तेल घटा बाती बुझी
सोवेगा दिन राति
महफ़िल में तेरी यूँ ही रहे
जश्न-इ-चरागाँ
आँखों में ही ये रात
गुज़र जाए तो अच्छा
साँच बराबर तप नहीं
झूठ बराबर पाप
जाके हिरदय साँच है
ता हिरदय गुरु आप
जा कर तेरी महफ़िल से
कहाँ चैन मिलेगा
अब अपनी जगह अपनी
खबर जाए तो अच्छा
जब मैं था तब हरी नहीं
अब हरि है मैं नाही
सब अंधियारा मिट गया
जब दीपक देखा माहि
जिस सुबह की तक़दीर में
लिखी हो जुदाई
उस सुबह से पहले
कोई मर जाए तो अच्छा
कोई मर जाए तो अच्छा