ज़िंदगी के सफर में ये क्या मुकाम आया
ज़िंदगी के सफर में ये क्या मुकाम आया
अपनी ही बेकदरी को मैं न पहचान पाया
अपनी ही बेकदरी को मैं न पहचान पाया
ज़िंदगी के सफर में ये क्या मुकाम आया
कसमें देते थे हमें कभी बिछड़ेगे न हम
कसमें देते थे हमें कभी बिछड़ेगे न हम
कभी बिछड़ेंगे न हम
कभी बिछड़ेंगे न हम
आज उन कसमों का मंज़र फिर याद आया
आज उन कसमों का मंज़र फिर याद आया
अपनी ही बेकदरी को मैं न पहचान पाया
ज़िंदगी के सफर में ये क्या मुकाम आया
दोस्ती को ये अब लग गई कैसी नज़र
दोस्ती को ये अब लग गई कैसी नज़र
दोस्ती को ये अब लग गई कैसी नज़र
ना जाने किस की शह पर ये फरमान आया
ना जाने किस की शह पर ये फरमान आया
अपनी ही बेकदरी को मैं न पहचान पाया
ज़िंदगी के सफर में ये क्या मुकाम आया
ग़म के प्यालों में अब छलकते यादों के जाम
थोड़ा पीलूँ मैं भी आज लेके उनका ही नाम
लेके उनका ही नाम
लेके उनका ही नाम
वक़्त जायेगा गुजर मैना ये समझ पाया
वक़्त जायेगा गुजर मैना ये समझ पाया
अपनी ही बेकदरी को मैं न पहचान पाया
ज़िंदगी के सफर में ये क्या मुकाम आया
ज़िंदगी के सफर में ये क्या मुकाम आया