लगता है आज ज़िंदगी हमसे खफा है
लगता है आज ज़िंदगी हमसे खफा है
चलिए छोड़िये जनाब कौन सी ये पहेली दफ़ा है
लगता है आज ज़िंदगी हमसे खफा है
लगता है आज ज़िंदगी हमसे खफा है
हमारे लबों पे जो मुस्कान है
उसकी वजह आप ही आप हो
पलके जुकाओ और देखूं कहीं
पलके जुकाओ और देखूं कहीं
बस हर जगह आप ही आप है
लगता है आज ज़िंदगी हमसे खफा है
लगता है आज ज़िंदगी हमसे खफा है
कहेना था आप से पर कुछ ना कहा
अल्फ़ाज़ मे आपका ही ज़िक्र बयान
चाहत मेरी आप ही आप हो
चाहत मेरी आप ही आप हो
बस आखरी ये तमन्ना हो तुम
लगता है आज ज़िंदगी हमसे खफा है
लगता है आज ज़िंदगी हमसे खफा है