ओ ओ हम शराफ़त में बैठे हुए
तुम शिक़ायत क्यू कर गये
हम तो पर्दे में बैठे हुए
तुम शरारत क्यू कर गये
यूँ तो ना हमे सताऊ
खुश्बू से ना हमे महेकाव
दूर क्यू बैठे हो तुम
पास आके प्यार जताऊ
हम शराफ़त में बैठे हुए
तुम शिक़ायत क्यू कर गये
हम तो पर्दे में बैठे हुए
तुम शरारत क्यू कर गये
आयतों की तरह तेरा नाम
अब ज़ुबान-ए है मेरा कलाम
पत्थरो को भी दे दे ज़ुबान
नज़रें तेरी ऐसी कत्ल-ए-आम
यूँ तो ना हमे जलाऊ
आँखो से ना यूँ तरसाऊ
दूर क्यू बैठे हो तुम
पास आके प्यार जताऊ
हम शराफ़त में बैठे हुए
तुम शिक़ायत क्यू कर गये
हम तो पर्दे में बैठे हुए
तुम शरारत क्यू कर गये