[ Featuring Kishore Kumar, DJ MHD IND ]
अपनों को कब है शाम
अपनों को कब है शाम
मुख दिखलाओगे
ऐसे में आये न फिर कब आओगे
एकल बेकल पंथ निहारे
एकल बेकल पंथ निहारे
तुम्हरे दरश में प्यासे तमाम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम
बन मैं राम बस्ती में देखा है चहु और
प्रभु तुमसे बाँधी है आशाओं की डोर
अब ऊलजाओ या सुलजाओ
अब ऊलजाओ या सुलजाओ
आन पड़ा हे तुमसे ही काम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम
इस मन में आजाओ नैनो के पट खोल
साँसों में धड़कन में मोहन तुम्हरे बोल
तुमको नहीं तो किसको पुकारू
तुमको नहीं तो किसको पुकारू
मुझको तो आवे एक ही नाम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम