आज अगर भर आई है
बूंदे बरस जाएंगी
कल क्या पता इनके लिए
आँखें तरस जाएगी
जाने कब गुम हुआ, कहाँ खोया
इक आंसू छुपा के रखा था
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
हैरान हूँ मैं, हो हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से
परेशान हूँ मैं, हो परेशान हूँ मैं
जीने के लिए सोचा ही नहीं
दर्द संभालने होंगे
मुस्कुराये तो मुस्कुराने के
क़र्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊं कभी तो लगता है
जैसे होंठो पे क़र्ज़ रखा है
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी हैरान हूँ मैं
हो हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं
हो परेशान हूँ मैं