धूप में खड़ा बिखर रहा था मैं
बादलों ने भी साया ना दिया
हैं भारी यह क़दम, क्या दिल में है वज़न
तू जा रहा है कहाँ, अपनी मंज़िल तो बता
ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो
अंधेरोन से जला एक आस का दिया
उस आस के तले, था रहगुज़र मेरा
ए हो हमसफ़र तू क्यूँ है बेख़बर
तू जा रहा है कहाँ, अपनी मंज़िल तो बता
ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो
ओ हो हो हो हो हो
धूप में खड़ा बिखर रहा था मैं