श्याम सुंदर मदन मोहन
अधर मुरली कमाल नुरचन
ईष्ट प्रेमी प्रेमिका के
मेरे मन मे है तू तू मेरे तन मे है तू तू
जहा भी देखु तू ही तू
दीवानी तेरी गाये रे पुकारे चली जाए रे
ना जाने किस मोड़ पे मुझे तू मिल जाए रे
मेरे मन मे है तू तू मेरे तन मे है तू तू
जहा भी देखु तू ही तू
जब कोई फूल है खिला लगता है तू हँसे
बनके पवन तू छू रहा तन मेरा प्यार से
पंछी की बोली मे तू ही बुलाए रे
मेरे मन मे है तू तू हा मेरे तन मे है तू तू
जहा भी देखु तू ही तू
दीवानी तेरी गाये रे पुकारे चली जाए रे
ना जाने किस मोड़ पे मुझे तू मिल जाए रे
मेरे मन मे है तू तू मेरे तन मे है तू तू
जहा भी देखु तू ही तू
अंखिया मेरी तरस गयी दीदार को तेरे
फिर भी मुझे ये लग रहा तू साथ है मेरे
बोले दिल आके मिल क्यू तू सताएं रे
मेरे मन मे है तू तू मेरे तन मे है तू तू
जहा भी देखु तू ही तू
दीवानी तेरी गाये रे पुकारे चली जाए रे
ना जाने किस मोड़ पे मुझे तू मिल जाए रे
मेरे मन मे है तू तू हा मेरे तन मे है तू तू
जहा भी देखु तू ही तू