सांस लेने में तकलीफ क्यों हो रही है
ना जाने मेरी किस्मत कब से सो रही है
और कितना करूँ सबर मैं
जीत की ना कोई खबर है
सांस लेने में तकलीफ क्यों हो रही है
ना जाने मेरी किस्मत कब से सो रही है
और कितना करूँ सबर मैं
जीत की ना कोई खबर है
जीता था मैं खुल के
अब कैदी सा हो रहा हूँ
खुले दरवाज़ों पे मैं खड़ा
मान पिंजरों में सो रहा हूँ
किस्मत को ताने देके
काहे को रो रहा हूँ
Competition की दुनिया में
हर रोज़ flop हो रहा हूँ
इसी का नाम जीना है
जीने में हमारी ख्वाहिशें
ज़्यादा हो रहीं हैं
सांस लेने में
तकलीफ काहे को हो रही है
येह, तकलीफ काहे को हो रही है
हाँ, तकलीफ काहे को हो रही है
तकलीफ काहे को हो रही है
तकलीफ काहे को हो रही है
सांस लेने में तकलीफ क्यों हो रही है
ना जाने मेरी किस्मत कब से सो रही है
और कितना करूँ सबर मैं
जीत की ना कोई खबर है
सांस लेने में तकलीफ क्यों हो रही है
ना जाने मेरी किस्मत कब से सो रही है
और कितना करूँ सबर मैं
जीत की ना कोई खबर है
नाम सीतासि भीड़ में
खुद का नाम खो रहा
अमृतसर का लड़का था
मुम्बईकर सा हो रहा है
नाम बनाने आया था
बे-नाम सा हो रहा
पैदल ही चलते चलते
गलियों से दोस्ती हो रही हैं
यहाँ लोग रोड पे सोते हैं
और कुत्तों की गाड़ियों में
सेवा हो रही है, सेवा हो रही है
सांस लेने में
तकलीफ काहे को हो रही है
सांस लेने में तकलीफ क्यों हो रही है
ना जाने मेरी किस्मत कब से सो रही है
और कितना करूँ सबर मैं
जीत की ना कोई खबर है
सांस लेने में तकलीफ क्यों हो रही है
ना जाने मेरी किस्मत कब से सो रही है
और कितना करूँ सबर मैं
जीत की ना कोई खबर है
खुल के रोना जैसे सपना सा हो रहा है
पलकों के पीछे आंसुओं का समुन्दर सो रहा है
कुछ हो रहा है
अब बेचैन दिल को कहना भी चाहूँ
पर कैसे बदलूँ फितरत को
चार दीवारी से ज्यादा
Time बिताया है सड़कों पे
इंसानों के विचार देखो
ना जाओ उनके कपड़ो पे
इन showoff के लफड़ों पे
बिन बोले कुछ दुःख दर्द
सेह चुप चुप रो रही है ना
रो रही है ना
सब खिलाती है हमे फिर भी खुद
भूखी सो रही है माँ, सो रही है माँ
सांस लेने में तकलीफ क्यों हो रही है
ना जाने मेरी किस्मत कब से सो रही है
और कितना करूँ सबर मैं
जीत की ना कोई खबर है
सांस लेने में तकलीफ क्यों हो रही है
ना जाने मेरी किस्मत कब से सो रही है
और कितना करूँ सबर मैं
जीत की ना कोई खबर है