इन फ़िज़ाओं से मेरा कोई
गहरा है वास्ता
वास्ता वास्ता
कहती मुझसे है यही
तेरा आसमान और ज़मीन
अपने दिल की हर फरमाहिश को
खुलके तू यूँ आज़मा
इस पिंजरे की कैद में
खुद को यूँ न फसा हां
कहती है ये फ़िज़ा
है तेरी ज़मीं आसमां
खुद पर कर ले यकीन
मेरे संग उड़ चल कहीं
इस सरगोशी में है छिपी
गज़ब की तेरी दास्ताँ
इक पंची की जो कभी
तूफ़ान से न झुका हा हा
कहती है ये फ़िज़ा
है तेरी ज़मीं है आस्मां
खुद पर कर ले यकीन
मेरे संग उड़ चल कहीं