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Khoj - Mitti Lyrics



Khoj - Mitti Lyrics
Official




सेहमी है मेरी ज़मीन
सहमा है आस्मां
सरफिरों की इस जंग में
जल रहा मेरा जहां
कब तक डरते रहे
कब तक सहते रहे
कब तक जलते रहे
कब तक उठेगा ये धुंआ

तुम और मैं
हम दोनों ही तो इंसान हैं
एक ही मिटटी की
कोख से उपजे हैं हम
क्यों हैं ये फासले
क्यों हैं ये दूरियां
कहने को हम आज़ाद हैं (कहने को हम आज़ाद हैं)
फिर भी क्यों हैं ये बेड़ियां

कब तक डरते रहे
कब तक सहते रहे
कब तक जलते रहे
कब तक उठेगा ये धुंआ
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सेहमी है मेरी ज़मीन
सहमा है आस्मां
सरफिरों की इस जंग में
जल रहा मेरा जहां
कब तक डरते रहे
कब तक सहते रहे
कब तक जलते रहे
कब तक उठेगा ये धुंआ

तुम और मैं
हम दोनों ही तो इंसान हैं
एक ही मिटटी की
कोख से उपजे हैं हम
क्यों हैं ये फासले
क्यों हैं ये दूरियां
कहने को हम आज़ाद हैं (कहने को हम आज़ाद हैं)
फिर भी क्यों हैं ये बेड़ियां

कब तक डरते रहे
कब तक सहते रहे
कब तक जलते रहे
कब तक उठेगा ये धुंआ
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Writer: Punit Vinod Garg
Copyright: Lyrics © O/B/O DistroKid

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Khoj - Mitti Video
(Show video at the top of the page)


Performed By: Khoj
Length: 3:08
Written by: Punit Vinod Garg
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