मैंने दिल से कहा ढून्ढ लाना खुशी
नासमझ लाया ग़म तो यह ग़म ही सही
बेचारा कहाँ जानता है
खलिश है यह क्या खला है
शहर भर की ख़ुशी से
यह दर्द मेरा भला है
जश्न यह रास न आये
मज़ा तो बस ग़म में आया है
मैंने दिल से कहा ढून्ढ लाना खुशी
नासमझ लाया ग़म तो यह ग़म ही सही
कभी है इश्क़ का उजाला कभी है मौत का अँधेरा
बताओ कौन भेस होगा मैं जोगी बनू या लुटेरा
कई चेहरे हैं इस दिल के नजाने कौनसा मेरा
मैंने दिल से कहा ढून्ढ लाना खुशी
नासमझ लाया ग़म तो यह ग़म ही सही