आया वो फिर नज़र ऐसे
बात छिड़ने लगी फिर से
आँखों में चुभता कल का धुआँ
हाल तेरा ना हम सा है
इस खुशी में क्यूँ ग़म सा है?
बसने लगा क्यूँ फिर वो जहाँ?
वो जहाँ दूर जिस से गए थे निकल
फिर से यादों ने कर दी है जैसे पहल
लम्हा बीता हुआ दिल दुखाता रहा
ख़ामख़ाह, बेवजह ख़्वाब बुनता रहा
तूने जो ना कहा मैं वो सुनता रहा
ख़ामख़ाह, बेवजह ख़्वाब बुनता रहा
जाने किसकी हमें लग गई है नज़र
इस शहर में ना अपना ठिकाना रहा
हमम हे