बहुत बुरा है हाल तेरे मजबूर का
कब टूटेगा बलम फासला दूर का
बहुत बुरा है हाल तेरे मजबूर का
कब टूटेगा बलम फासला दूर का
मैं तड़पुं निस दिन हाय चैन नहीं आये जिया है भारी
दिल में आग लगाए बदरिया कारी
मैं तड़पुं निस दिन हाय चैन नहीं आये जिया है भारी
दिल में आग लगाए बदरिया कारी
पिया सांवरे दिया है मुझ को
बदला कौन कुसूर का कब टूटेगा बलम फासला दूर का
बहुत बुरा है हाल तेरे मजबूर का
कब टूटेगा बलम फासला दूर का
उठाऊँ कब तक ग़म का भार बुरा संसार
ना भाए जिना बहती है दिन रात आँख की मीणा
उठाऊँ कब तक ग़म का भार बुरा संसार
ना भाए जिना बहती है दिन रात आँख की मीणा
दिल का सौदा कर सौदागर मौसम नहीं ग़ुरूर का
कब टूटेगा बलम फासला दूर का
बहुत बुरा है हाल तेरे मजबूर का
कब टूटेगा बलम फासला दूर का