लो आ गयी उनकी याद
वो नहीं आये
लो आ गयी उनकी याद
वो नहीं आये
दिल उनको ढूंढता है, ग़म का श्रृंगार कर के
आँखें भी थक गयीं हैं, अब इंतज़ार कर के
आँखें भी थक गयीं हैं, अब इंतज़ार कर के
इक सांस रह गयी है, वो भी न टूट जाये
लो आ गयी उनकी याद
वो नहीं आये
रोती है आज हम पर, तन्हाईयाँ हमारी
रोती है आज हम पर, तन्हाईयाँ हमारी
वो भी न पाये शायद, परछाइयाँ हमारी
बढ़ते ही जा रहे हैं, मायूसियों के साये
लो आ गयी उनकी याद
वो नहीं आये
लौ थरथरा रही है, अब शम्म-ए-ज़िन्दगी की
उजड़ी हुई मुहब्बत, मेहमाँ है दो घड़ी की
उजड़ी हुई मुहब्बत, मेहमाँ है दो घड़ी की
मर कर ही अब मिलेंगे, जी कर तो मिल न पाये
लो आ गयी उनकी याद
वो नहीं आये
लो आ गयी उनकी याद
वो नहीं आये