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Manna Dey - Dhalak Rahi Ho Tan Ke Ghat Se Lyrics



Manna Dey - Dhalak Rahi Ho Tan Ke Ghat Se Lyrics
Official




ढलक रही हो तन के घट से, संगिनी जब जीवन हाला
पात्र गरल का ले जब अन्तिम साक़ी हो आनेवाला
हाथ-परस भूले प्याले का
हाथ-परस भूले प्याले का
स्वाद-सुरा जीव्हा भूले
कानो में तुम कहती रहना
कानो में तुम कहती रहना
मधुकण प्याला मधुशाला
मधुकण प्याला मधुशाला
कानो में तुम कहती रहना
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ढलक रही हो तन के घट से, संगिनी जब जीवन हाला
पात्र गरल का ले जब अन्तिम साक़ी हो आनेवाला
हाथ-परस भूले प्याले का
हाथ-परस भूले प्याले का
स्वाद-सुरा जीव्हा भूले
कानो में तुम कहती रहना
कानो में तुम कहती रहना
मधुकण प्याला मधुशाला
मधुकण प्याला मधुशाला
कानो में तुम कहती रहना
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Writer: JAIDEV, HARIVANSH RAI BACHCHAN
Copyright: Lyrics © Royalty Network

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