ढलक रही हो तन के घट से, संगिनी जब जीवन हाला
पात्र गरल का ले जब अन्तिम साक़ी हो आनेवाला
हाथ-परस भूले प्याले का
हाथ-परस भूले प्याले का
स्वाद-सुरा जीव्हा भूले
कानो में तुम कहती रहना
कानो में तुम कहती रहना
मधुकण प्याला मधुशाला
मधुकण प्याला मधुशाला
कानो में तुम कहती रहना