ओ ओ रंगरेजवा रंग दे ऐसी चुनरिया
के रंग ना फीका पड़े
ओ रंगरेजवा रंग दे ऐसी चुनरिया
के रंग ना फीका पड़े
ओ रंगरेजवा
ओ पग पग पर लाखों हैं ठग थे
तन रंगने की धुन में
ओ सबसे सब दिन बच निकला
मन पर बच ना सका फागुन में
तो जग में ये तन, ये मेरा मन
रह ना सका बैरागी
कोरी कोरी कोरी कोरी
कोरी कोरी कोरी कोरी
चुनरी मोरी हो गई रे, हुए रे दागी
अब जिया धड़के
अब जिया धड़के इस चुनरी पे
सब की नजरिया गड़े
ओ रंगरेजवा रंग दे ऐसी चुनरिया
के रंग ना फीका पड़े
ओ रंगरेजवा
ओ रंग वो जिसमें रंगी थी राधा
रंगी थी जिसमें मीरा
ओ उसी रंग में सब रंग डूबे
कह गए दास कबीर
तो नीले पीले लाल सा बजरंग
तू ना मुझे दिखला रे
मैं समझा दूँ, मैं समझा दूँ
मैं समझा दूँ भेद मुझे ये
तू ना मुझे समझा रे
प्रेम है रंग वो
प्रेम है रंग वो
चढ़ जाए तो रंग ना दूजा चढ़े
ओ रंगरेजवा रंग दे ऐसी चुनरिया
के रंग ना फीका पड़े
ओ रंगरेजवा