कुछ यूँ मेरी कहानी
अब तक जो है पेहचानी
बस दो ही रास्ते हैं
और बस दो ही रास्ते हैं
चाहे जितने दिखते हैं
असल में दो ही रास्ते हैं
जो हम को जानते नहीं
पहचानते नहीं वह हम पे हस्ते हैं
आके हम से लड़ते हैं
नारे हम पै कस्ते हैं
हम तो सब से डरते हैं
और यह कैसे बंदे हैं
यह कहते हैं समझे हैं
पर यह बिलकुल अंधे हैं
और यह कैसे आएंगे
साथ क्या ही लाएँगे
यह तोह सराय लंगड़े हैं
बस गोल गोल घूम
सारी रात झूम
यह दिल के रास्ते हैं
बस गोल गोल घूम
सारी रात झूम
यह तनहा कटते हैं
गिलानी की हो cycle
यारों अपना micheal
फिर चाहे लादले जो
दिल की यह सवारी
मेरे पीछे फौजी गाडी
अब चाहो पातलो जो
तुम भृंगी हो या संगी
बुर्के में हो या नंगी
मेरे दिल में हो तो हो
तुम गोरी हो या काली
हिन्दू या बंगाली
मेरे दिल में हो तो हो
बस गोल गोल घूम
सारी रात झूम
यह दिल के रास्ते हैं
बस गोल गोल घूम
सारी रात झूम
यह तनहा कटते हैं
वीरानो की आँख में
ख़ामोशी के साँस में
हम दो ही दिखते हैं
दिल के इस बाजार में
अपने लफ़्ज़ों के जाल में
हम सस्ते फंसते हैं
में मेहदी हों या क़ैदी
असीम होण केह क़ासिम
गायब हो या ज़ाहिर
अंदर हों या बाहर
अँधा हों या लंगड़ा
में हूँ भी या नहीं
पर यह ऐसे रास्ते हैं
जब बन इनपे चलते हैं
दरया दोनों मिलते हैं
और फिर फूल खिलते हैं
साथी सारे मिलते हैं
पर यह तनहा कटते हैं
बस गोल गोल घूम
सारी रात झूम
यह दिल के रास्ते हैं
बस गोल गोल घूम
सारी रात झूम
यह तनहा कटते हैं