Back to Top

Peero Video (MV)




Performed By: Mehdi Maloof
Featuring: Talal Qureshi
Length: 3:55
Written by: Talal Qureshi, Mehdi Maloof
[Correct Info]



Mehdi Maloof - Peero Lyrics
Official




[ Featuring Talal Qureshi ]

पीरो यह कैसा इज़्तेराब
पीरो यह कैसी गन्दी खाली काली गाली जैसी शाम
पीरो हम दुनिआ दारी में भी बचपन ही से थे बिलकुल बेकार
हा जिस को दिल से सीधा जाना दुनिआ उल्टा समझि काम
और पीरो बच्चा तू में अच्छा था पर दोस्त मेरे बिलकुल नामाकूल
और पीरो बनता तो मैं burger था पर असलन दक़ियानूस
लेकिन सुरीली में अपनी आवाज़ की वजह से था मशहूर
हाँ पीरों बासुरी बजाओं में तू सब में ही मक़बूल

पीरो दो नंबर सुकून मैं अपनी राहों पे मग़रूर पीरो पीरों पीरो
नूर ए मशरिक का नज़ूल मंगाय अफ़सुर्दा सरूर
पीर पीर पीर
हाँ यह दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दुर दुर दुर दुर
हाँ यह दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दूर दूर दूर दूर

खा के बे मक़सद था पर teacher
सोचा कुछ मैं ऐसा था ज़रूर
लगते बे मक़सद मक़तब जितने भी हैं मग़रिब से मंसूब
और आलिम फाजिल भी हैं पीरो सारे कैसे मन्तक में मजज़ूब
इन अस्बाक के औराक़ में अलफ़ाज़ नीच, उंच ल शऊर

पीरो जब झूटी हो ज़बान
कैसे पूरी हो नमाज़ पीरो पीरों पीरो
हाँ पीरो मिट गए लक़ीर
बन्दे बन गए फ़क़ीर पीर पीर पीर
हाँ यह दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दुर दुर दुर दुर
दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दूर दूर दूर दूर

उ उ उ उ उ उ
हाँ यह दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दूर दूर दूर दूर
हकीकत मुक्ते में आ
मेरी शास्ते हे पीर पीर पीर
हर वक्त तेरा हि सवाल करता रहता हे Guitar
पीर पीर पीर
[ Correct these Lyrics ]

[ Correct these Lyrics ]

We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.


We currently do not have these lyrics. If you would like to submit them, please use the form below.




पीरो यह कैसा इज़्तेराब
पीरो यह कैसी गन्दी खाली काली गाली जैसी शाम
पीरो हम दुनिआ दारी में भी बचपन ही से थे बिलकुल बेकार
हा जिस को दिल से सीधा जाना दुनिआ उल्टा समझि काम
और पीरो बच्चा तू में अच्छा था पर दोस्त मेरे बिलकुल नामाकूल
और पीरो बनता तो मैं burger था पर असलन दक़ियानूस
लेकिन सुरीली में अपनी आवाज़ की वजह से था मशहूर
हाँ पीरों बासुरी बजाओं में तू सब में ही मक़बूल

पीरो दो नंबर सुकून मैं अपनी राहों पे मग़रूर पीरो पीरों पीरो
नूर ए मशरिक का नज़ूल मंगाय अफ़सुर्दा सरूर
पीर पीर पीर
हाँ यह दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दुर दुर दुर दुर
हाँ यह दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दूर दूर दूर दूर

खा के बे मक़सद था पर teacher
सोचा कुछ मैं ऐसा था ज़रूर
लगते बे मक़सद मक़तब जितने भी हैं मग़रिब से मंसूब
और आलिम फाजिल भी हैं पीरो सारे कैसे मन्तक में मजज़ूब
इन अस्बाक के औराक़ में अलफ़ाज़ नीच, उंच ल शऊर

पीरो जब झूटी हो ज़बान
कैसे पूरी हो नमाज़ पीरो पीरों पीरो
हाँ पीरो मिट गए लक़ीर
बन्दे बन गए फ़क़ीर पीर पीर पीर
हाँ यह दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दुर दुर दुर दुर
दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दूर दूर दूर दूर

उ उ उ उ उ उ
हाँ यह दुनिआ मुझ से दूर दूर दूर दूर दूर
दूर दूर दूर दूर
हकीकत मुक्ते में आ
मेरी शास्ते हे पीर पीर पीर
हर वक्त तेरा हि सवाल करता रहता हे Guitar
पीर पीर पीर
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Talal Qureshi, Mehdi Maloof
Copyright: Lyrics © O/B/O DistroKid

Back to: Mehdi Maloof

Tags:
No tags yet