आशा के जब दीप बुझे तो मन का दीप जला
जग का रास्ता छोड़ मुसाफिर तेरी राह चला
अपनी छाया मे भगवन बिठा ले मुझे
अपनी छाया मे भगवन बिठा ले मुझे
मैं हू तेरा तू अपना बना ले मुझे
अपनी छाया मे भगवन बिठा ले मुझे
मैं हू तेरा तू अपना बना ले मुझे
अब मुझे गम का गम, ना खुशी की खुशी
अब मुझे गम का गम, ना खुशी की खुशी
है अंधेरा भी मेरे लिए रोशनी
मैं जीऊ जब तलक़
मैं जीऊ जब तलक़ आजमा ले मुझे
आजमा ले मुझे
मैं हू तेरा तू अपना बना ले मुझे
अपनी छाया मे भगवन बिठा ले मुझे
मैं हू तेरा तू अपना बना ले मुझे
देखकर मैं किसी की खुशी ना जलु
देखकर मैं किसी की खुशी ना जलु
राह इंसानियत की हमेशा चलू
भूल जाऊं तो
भूल जाऊं तो जग से उठा ले मुझे
तू उठा ले मुझे
मैं हू तेरा तू अपना बना ले मुझे
अपनी छाया मे भगवान बिठा ले मुझे
मैं हू तेरा तू अपना बना ले मुझे