तू ना रोना के तू है भगत सिंह की माँ
मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं
घोड़ी चढ़ के तो लाते हैं दुल्हन सभी
हँस के हर कोई फाँसी चढ़ेगा नहीं
आ आ आ आ
इश्क आज़ादी से आशिकों ने किया
देख लेना उसे हम ब्याह लाएँगे
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन
जब शहीदों की अर्थी उठे धूम से
देश वालों तुम आँसू बहाना नहीं
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं
लौट कर आ सकें ना जहां में तो क्या
याद बन के दिलों में तो आ जाएँगे
ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों में जाँ तक लुटा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन