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Mohammed Rafi - Bhookh Hi Bhookh Hai Lyrics



Mohammed Rafi - Bhookh Hi Bhookh Hai Lyrics
Official




भूख ही भूख है
भूख ही भूख है
इंसान से हैवान तक
भगवान से शैतान तक
भूख ही भूख है
भूख ही भूख है

भारत देश मे सब कुछ है
हो दौलत भी है अनाज भी
ओर दूध की नादिया बहती है
हो इस धरती पे आज भी
मगरये सब कुछ छुपा है
चोर के तहखानो मे
जो महँगाई फैला कर
खुद ऐश करे मयखानो मे
लानत है इन गद्दारो पर
यही तो देश के दुश्मन है
राम राज को लूटने वाले
आज भी कितने रावण है
दौलत का कोई भूखा है
रोटी का कोई भूखा है
भूख ही भूख है
भूख ही भूख है

दौलत ने इंसानो को हो
दो हिस्सो मे बाँट दिया है
एक अमीर ओर एक ग़रीब
दो नामो ने जनम लिया है
उँचे महल मखमल के गद्दे
चाँदी सोना एक तरफ
टूटे झोपड़ खाक का बिस्तर
दुख का रोना एक तरफ
कीमती कारे सारी बहारे हो
सुख का जीना एक तरफ
जलते पावं नंगा बदन हो
मेहनत का पसीना एक तरफ
भूख कही आराम की
भूख कही है काम की
भूख ही भूख है
भूख ही भूख है

इस दुनिया के मेले मे
ये खेल भी देखा जाता है
कोई दूध मलाई ख़ाता है
कोई झूठन को ललचाता है
पेट की आग बुझाने को जब
झूठन कोई उठाता है
एक भूखे से दूसरा भूखा
छीनता है ले जाता है
होटेल हो या कचरा घर
हाए रोटी जहा मिल जाती है
इंसान ओर हैवान को हो ऊओ
भूख एक जगह ले आती है
यही तमाशा दुनिया मे
सदियो से देखा जाता है
मगर वो उपरवाला किसी को
भूखा नही सुलाता है
भूखा नही सुलाता है
[ Correct these Lyrics ]

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भूख ही भूख है
भूख ही भूख है
इंसान से हैवान तक
भगवान से शैतान तक
भूख ही भूख है
भूख ही भूख है

भारत देश मे सब कुछ है
हो दौलत भी है अनाज भी
ओर दूध की नादिया बहती है
हो इस धरती पे आज भी
मगरये सब कुछ छुपा है
चोर के तहखानो मे
जो महँगाई फैला कर
खुद ऐश करे मयखानो मे
लानत है इन गद्दारो पर
यही तो देश के दुश्मन है
राम राज को लूटने वाले
आज भी कितने रावण है
दौलत का कोई भूखा है
रोटी का कोई भूखा है
भूख ही भूख है
भूख ही भूख है

दौलत ने इंसानो को हो
दो हिस्सो मे बाँट दिया है
एक अमीर ओर एक ग़रीब
दो नामो ने जनम लिया है
उँचे महल मखमल के गद्दे
चाँदी सोना एक तरफ
टूटे झोपड़ खाक का बिस्तर
दुख का रोना एक तरफ
कीमती कारे सारी बहारे हो
सुख का जीना एक तरफ
जलते पावं नंगा बदन हो
मेहनत का पसीना एक तरफ
भूख कही आराम की
भूख कही है काम की
भूख ही भूख है
भूख ही भूख है

इस दुनिया के मेले मे
ये खेल भी देखा जाता है
कोई दूध मलाई ख़ाता है
कोई झूठन को ललचाता है
पेट की आग बुझाने को जब
झूठन कोई उठाता है
एक भूखे से दूसरा भूखा
छीनता है ले जाता है
होटेल हो या कचरा घर
हाए रोटी जहा मिल जाती है
इंसान ओर हैवान को हो ऊओ
भूख एक जगह ले आती है
यही तमाशा दुनिया मे
सदियो से देखा जाता है
मगर वो उपरवाला किसी को
भूखा नही सुलाता है
भूखा नही सुलाता है
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Asad Bhopali, Kamal Joshi, Usha Khanna
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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