धन्य हो धन्य हो धन्य हो
है धन्य सुहागन वो जिसने
भारत को तुलसी दास दिया
मेहंदी महावर रच कर भी
मेहंदी महावर रच कर भी
मेहंदी माहवार रच कर भी
सुख सपनो से सन्यास लिया
है धन्य सुहागन वो जिसने
भारत को तुलसी दास दिया
तुमने भी कंगन पहने थे
तुमने भी बजाई थी पायल
तुमने भी किया था नैनो से
कुछ दिन तो साँवरिया को घायल
मिलने आये तुमसे प्रीतम
तो भेज राम के पास दिया
है धन्य सुहागन वो जिसने
भारत को तुलसी दास दिया
सच मानो तुलसी न होते
तो हिंदी कही पड़ी होती
उसके माथे पर रामायण की
बिंदी नहीं जड़ी होती
बिसो बसंत देकर जिसने
बदले में बस चोमास लिया
है धन्य सुहागन वो जिसने
भारत को तुलसी दास दिया
जाओ कवी जब तक राम अमर
दुनिया में तेरा नाम अमर
दुनिया पुजेगी रघुवर को
गूंजेगा तेरा स्वर घर घर
जीवन तो दिया हरि को
हमको हरि लीला का इतिहास दिया
है धन्य सुहागन वो जिसने
भारत को तुलसी दास दिया