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Mohammed Rafi - Jawan Ho Ya Budhiya Lyrics



Mohammed Rafi - Jawan Ho Ya Budhiya Lyrics
Official




जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया

मारे पिस्तौल से न काटे तलवार से
मर्द को गुलाम ये बनाये बड़े प्यार से
अरे मारे पिस्तौल से न काटे तलवार से
मर्द को गुलाम ये बनाये बड़े प्यार से
कभी इकरार से कभी इंकार से
कभी इकरार से कभी इंकार से
कजरे की धार से या बालो के सिंगार
इसीलिए कहता हूँ डरो डरो नार से
डरो डरो नार से
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया

हो नहीं सकता ये काम भगवन का
नुष्का जरुर ये तो होगा शैतान का
हो नहीं सकता ये काम भगवन का
नुष्का जरुर ये तो होगा शैतान का
चार बुँदे नखरा आठ बुँदे झगड़ा
चार बुँदे नखरा आठ बुँदे झगड़ा
झूठ बारह बुँदे सोलह बुँदे लफड़ा
वाह वाह क्या बनाया तूने रगडा बनाया तूने रगडा
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया

चलने में तेज जैसे सुई घड़ियाल की
लाये ये निकाल कर खबर पाताल की
चलने में तेज जैसे सुई घड़ियाल की
लाये ये निकाल कर खबर पाताल की
मीठी है जुबान की झूठी है जहाँ की
दिल की है खोटी तो कच्ची भी कान की
काली हो या गोरी है बैरी इंसान की बैरी इंसान की
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया
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जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया

मारे पिस्तौल से न काटे तलवार से
मर्द को गुलाम ये बनाये बड़े प्यार से
अरे मारे पिस्तौल से न काटे तलवार से
मर्द को गुलाम ये बनाये बड़े प्यार से
कभी इकरार से कभी इंकार से
कभी इकरार से कभी इंकार से
कजरे की धार से या बालो के सिंगार
इसीलिए कहता हूँ डरो डरो नार से
डरो डरो नार से
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया

हो नहीं सकता ये काम भगवन का
नुष्का जरुर ये तो होगा शैतान का
हो नहीं सकता ये काम भगवन का
नुष्का जरुर ये तो होगा शैतान का
चार बुँदे नखरा आठ बुँदे झगड़ा
चार बुँदे नखरा आठ बुँदे झगड़ा
झूठ बारह बुँदे सोलह बुँदे लफड़ा
वाह वाह क्या बनाया तूने रगडा बनाया तूने रगडा
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया

चलने में तेज जैसे सुई घड़ियाल की
लाये ये निकाल कर खबर पाताल की
चलने में तेज जैसे सुई घड़ियाल की
लाये ये निकाल कर खबर पाताल की
मीठी है जुबान की झूठी है जहाँ की
दिल की है खोटी तो कच्ची भी कान की
काली हो या गोरी है बैरी इंसान की बैरी इंसान की
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया
जवान हो या बुढ़िया या नन्ही सी गुड़िया
कुछ भी हो औरत ज़हर की है पुड़िया
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Writer: CHITRAGUPTA, RAJINDER KRISHAN
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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