कौन अपना कौन पराया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया
दुनिया का ये भेद अभी तक कोई समझ नहीं पाया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया
जीवन की नैया में सभी हैं राही इक मंज़िल के
इन्हीं में मन के मीत मिलेंगे इन्हीं में दुश्मन दिल के
किसी के दिल में भरी है नफ़रत किसी में प्यार की माया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया
बिछड़े लोग भी मिल जाते हैं कभी-कभी जीवन में
ख़ुशी की लहरें भी उठती हैं किसी के दुखिया मन में
कभी किसी ने खोया जग में कभी किसी ने पाया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया
कोई मूरख बन के बेगाना अपनों को ठुकराए
कोई किसी की ख़ुशी के कारण रस्ते से हट जाए
कोई किनारा छोड़ के ढूँढे तूफ़ानों का साया
कौन अपना कौन पराया कौन अपना कौन पराया