खामोश ज़िंदगी को आवाज़ दे रहे हो
खामोश ज़िंदगी को आवाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथों में क्यूँ साज़ दे रहे हो
खामोश ज़िंदगी को
बेनूर मेरी आँखें और दूर का सफर है
बेनूर मेरी आँखें और दूर का सफर है
उठते हैं पाऊं लेकिन गिर जाने का भी डर है
पर काट के किसी के परवाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथो में क्यों साज़ दे रहे हो
खामोश ज़िंदगी को
आँखों से बहता दरिया होंठों पे आह लेकर
आँखों से बहता दरिया होंठों पे आह लेकर
साहिल पे हम खड़े हैं साहिल की चाह लेकर
बर्बाद ए मोहब्बत को नए अंदाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथो में क्यों साज़ दे रहे हो
खामोश ज़िंदगी को