लोगो ये किसकी अर्थी चली
माँ बेटे को याद करती चली
माँ बेटे को याद करती चली
लोगो ये किसकी अर्थी चली
माँ बेटे को याद करती चली
माँ बेटे को याद करती चली
रोती हुई सारी बसती चली
बसती चली
लोगो ये किसकी अर्थी चली
माँ बेटे को याद करती चली
माँ बेटे को याद करती चली
अपनो ने रुक्सत भी ना किया
गैरो ने आकर कन्धा दिया
गैरो ने आकर कन्धा दिया
हँसके ज़हर भी जिसने पीया
हर एक से प्यार जिसने किया
वो प्यार को खुद तरसती चली
तरसती चली
लोगो ये किसकी अर्थी चली
माँ बेटे को याद करती चली
माँ बेटे को याद करती चली
ये देख सकती नहीं थी मगर
ये देखती थी किसकी डगर
ये देख सकती नहीं थी मगर
ये देखती थी किसकी डगर
किसको पता ये किसको खबर
किसलिये तड़पी ये सारी उम्र
किसके लिए ये तडपती चली
तडपती चली
लोगो ये किसकी अर्थी चली
माँ बेटे को याद करती चली
माँ बेटे को याद करती चली
इसकी चिता को क्यों आग दी
इसको जरुरत क्या आग की
ये अपने गम में जलती रही
ये अपने गम में जल जायेगी
ये अपने गम में जल जायेगी
आँखों में आँसू भरती चली
भरती चली भरती चली
माँ बेटे को याद करती चली
माँ बेटे को याद करती चली