मन के ख़ज़ाने में माया ही माया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
हरी ॐ
मन के ख़ज़ाने में माया ही माया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
हरी ॐ
दिखाई न दे जो अँधेरे में काला
तू ज्योति लगन की जला ले
तू ज्योति लगन की जला ले
हे अगर हाथ कापे तो हरी नाम लेकर
तू पूजा की चाबी लगा ले
हा तू पूजा की चाबी लगा ले
डराती है क्यों तुझे अपनी ही छाया
तेरा ही धन है ये नहीं है पराया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
हरी ॐ
कभी हार दाता की होती नहीं है
ना जीता कभी लेने वाला
ना जीता कभी लेने वाला
हे भरेंगी न तेरी ये तृष्णा की झोली
थकेगा न वो देने वाला
हा थकेगा न वो देने वाला
उसी ने बनायीं है तेरी ये काया
काया में भक्ति का धन है छुपाया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
हरी ॐ
मन के ख़ज़ाने में माया ही माया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
हरी ॐ