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Mohammed Rafi - Na Kisi Ki Aankh Ka Noor Hoon Lyrics



Mohammed Rafi - Na Kisi Ki Aankh Ka Noor Hoon Lyrics
Official




न किसी की आँख का नूर हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ
न किसी के दिल का क़रार हूँ
जो किसी के काम न आ सके
मैं वो एक मुश्त-ए-गुबार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

न तो मैं किसी का हबीब हूँ
न तो मैं किसी का रक़ीब हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ
जो उजड़ गया वो दयार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

मेरा रंग-रूप बिगड़ गया
मेरा यार मुझसे बिछड़ गया
जो चमन फ़िज़ां में उजड़ गया
मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

पए-फ़ातेहा कोई आये क्यूँ
कोई चार फूल चढ़ाये क्यूँ
कोई आ के शम्मा जलाये क्यूँ
मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ
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न किसी की आँख का नूर हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ
न किसी के दिल का क़रार हूँ
जो किसी के काम न आ सके
मैं वो एक मुश्त-ए-गुबार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

न तो मैं किसी का हबीब हूँ
न तो मैं किसी का रक़ीब हूँ
जो बिगड़ गया वो नसीब हूँ
जो उजड़ गया वो दयार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

मेरा रंग-रूप बिगड़ गया
मेरा यार मुझसे बिछड़ गया
जो चमन फ़िज़ां में उजड़ गया
मैं उसी की फ़स्ल-ए-बहार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ

पए-फ़ातेहा कोई आये क्यूँ
कोई चार फूल चढ़ाये क्यूँ
कोई आ के शम्मा जलाये क्यूँ
मैं वो बेकसी का मज़ार हूँ
न किसी की आँख का नूर हूँ
[ Correct these Lyrics ]
Writer: S N tripathi, Zafar Bahadur Shah
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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