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Mohammed Rafi - Sawan Ke Mahine Mein [Pt. 2] Lyrics



Mohammed Rafi - Sawan Ke Mahine Mein [Pt. 2] Lyrics
Official




ल ल ला
ला ला ला ला ला ला
ल ल ला ला ला ला ला

सावन के महीने मे एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हूं दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हूं दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे

ए है है है
बरसो झलकाय मैने ये शीशे और ये प्याले
बरसो झलकाय मैने ये शीशे और ये प्याले
कुछ आज पीला दे ऐसे जो मुझको ही पी डाले
हर रोज तो यूं ही दिल को बहका के मैं पी लेता हूं
दो चार घड़ी जी लेता हु सावन के महीने मे

लंबे जीवन से अच्छा वो एक पल जो अपना हो
लंबे जीवन से अच्छा वो एक पल जो अपना हो
उस पल के बाद ये दुनिया क्या गम है अगर सपना हो
कुछ सोच के ऐसी बाते घबरा के मैं पी लेता हूं
दो चार घड़ी जी लेता हूं सावन के महीने मे

ए है है है
मैखाने मे आया हूं मौसम का इशारा पा के
मैखाने मे आया हूं मौसम का इशारा पा के
दम भर के लिए बैठा हूं रंगीन सहारा पा के
साथी जो तेरी ज़िद है तो शर्मा के मैं पी लेता हूं
दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हूं दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हूं दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे
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ल ल ला
ला ला ला ला ला ला
ल ल ला ला ला ला ला

सावन के महीने मे एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हूं दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हूं दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे

ए है है है
बरसो झलकाय मैने ये शीशे और ये प्याले
बरसो झलकाय मैने ये शीशे और ये प्याले
कुछ आज पीला दे ऐसे जो मुझको ही पी डाले
हर रोज तो यूं ही दिल को बहका के मैं पी लेता हूं
दो चार घड़ी जी लेता हु सावन के महीने मे

लंबे जीवन से अच्छा वो एक पल जो अपना हो
लंबे जीवन से अच्छा वो एक पल जो अपना हो
उस पल के बाद ये दुनिया क्या गम है अगर सपना हो
कुछ सोच के ऐसी बाते घबरा के मैं पी लेता हूं
दो चार घड़ी जी लेता हूं सावन के महीने मे

ए है है है
मैखाने मे आया हूं मौसम का इशारा पा के
मैखाने मे आया हूं मौसम का इशारा पा के
दम भर के लिए बैठा हूं रंगीन सहारा पा के
साथी जो तेरी ज़िद है तो शर्मा के मैं पी लेता हूं
दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हूं दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे एक आग सी सिने मे
लगती है तो पी लेता हूं दो चार घड़ी जी लेता हूं
सावन के महीने मे
[ Correct these Lyrics ]
Writer: MADAN MOHAN, RAJINDER KRISHAN
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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