तेरी तस्वीर भी तुझ जैसी हसी है लेकिन
इस्पे कुर्बान मेरी जान
हाज़ी है लेकिन
ये मेरी ज़ख्मी उमँगो का
मदवा तो नही
हाल ए दिल इस बूते काफ़िर को सुनौउ कैसे
इसके रुक्सारो की सादगी को छेड़ू कुकर
इसके होतो पे तपस्सुम को जगौउ कैसे
तेरी तस्वीर भी तुझ जैसे हसी है लेकिन
यही तस्वीर तासुुर मे उतार जाने पर
चाँद की किरानो से
गोबद के निखार जाती है
दर्द पल्को से लिपट जाता है
आसू बन कर
मेरे अहसास की दुनिया ही बिखर जाती है
इसलिए तेरे तस्वूर से नही
खुद तुझे इल्तीज़ा करता हू
बस इतना बता दे मुझको
क्या मेरे दिल की तड़प का
तुझे अहसास भी है
क्या मेरे दिल की तड़प का
तुझे अहसास भी है
वरना फिर मेरी ही वहसात मे
सुला दे मुझको
तेरी तस्वीर भी तुझ जैसी हसी है लेकिन
इस्पे कुर्बान मेरी जान
हाज़ी है लेकिन
ये मेरी ज़ख्मी उमँगो का मदवा तो नही