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Mohammed Rafi - Yeh Khidki Jo Band Rahti Hai Lyrics



Mohammed Rafi - Yeh Khidki Jo Band Rahti Hai Lyrics
Official




मेरी दुश्मन है ये, मेरी उलझन है ये
बड़ा तड़पाती है दिल तरसाती है
ये खिड़की खिड़की ये खिड़की
ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है
मेरी दुश्मन है यह मेरी उलझन है यह
बड़ा तड़पाती है दिल तरसाती है
ये खिड़की खिड़की ये खिड़की
ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है

लगता है मेला न जाने कहाँ
आशिक़ जमा होती है यहाँ
अरे सबको पता है यह दास्तान
इस घर में है एक लड़की जवान
ऑंखें झुका के गुज़रो इस गली से
आने जानेवालों से कहती है
ये खिड़की ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है

ग़म की घटा है ये छत जाएँगी
बाहों से दीवार फट जाएँगी
जब सामने से ये हट जाएँगी
घूँघट मैं गोरी सिमट जाएंगी
इक रोज खुल जाएँगी तूट के ये कितनी
नज़रों के तीर सहती है
ये खिड़की ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है

आये कभी चौबारे में वोह
कुछ सोचे मेरे बारे में वोह
अरे बातें करें जो इशारे में वोह
चूप सी खडी हे ऊस किनारे में वो
उस पार वह है और इस पार मैं हू
नदिया बीच में बहती है
ये खिड़की ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है
मेरी दुश्मन है ये, मेरी उलझन है ये
बड़ा तड़पाती है दिल तरसाती है
ये खिड़की खिड़की ये खिड़की
ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है
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मेरी दुश्मन है ये, मेरी उलझन है ये
बड़ा तड़पाती है दिल तरसाती है
ये खिड़की खिड़की ये खिड़की
ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है
मेरी दुश्मन है यह मेरी उलझन है यह
बड़ा तड़पाती है दिल तरसाती है
ये खिड़की खिड़की ये खिड़की
ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है

लगता है मेला न जाने कहाँ
आशिक़ जमा होती है यहाँ
अरे सबको पता है यह दास्तान
इस घर में है एक लड़की जवान
ऑंखें झुका के गुज़रो इस गली से
आने जानेवालों से कहती है
ये खिड़की ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है

ग़म की घटा है ये छत जाएँगी
बाहों से दीवार फट जाएँगी
जब सामने से ये हट जाएँगी
घूँघट मैं गोरी सिमट जाएंगी
इक रोज खुल जाएँगी तूट के ये कितनी
नज़रों के तीर सहती है
ये खिड़की ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है

आये कभी चौबारे में वोह
कुछ सोचे मेरे बारे में वोह
अरे बातें करें जो इशारे में वोह
चूप सी खडी हे ऊस किनारे में वो
उस पार वह है और इस पार मैं हू
नदिया बीच में बहती है
ये खिड़की ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है
मेरी दुश्मन है ये, मेरी उलझन है ये
बड़ा तड़पाती है दिल तरसाती है
ये खिड़की खिड़की ये खिड़की
ये खिड़की जो बन्द रहती है
ये खिड़की जो बन्द रहती है
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Laxmikant Pyarelal, ANANDSHI BAKSHI, ANAND BAKSHI, KUDALKAR LAXMIKANT, PYARELAL RAMPRASAD SHARMA
Copyright: Lyrics © Royalty Network




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