मुझको इस रात की तन्हाई में आवाज़ न दो
आवाज़ न दो, आवाज़ न दो
जिसकी आवाज़ रुला दे मुझे वो साज़ न दो
वो साज़ न दो आवाज़ न दो
रौशनी हो न सकी दिल भी जलाया मैंने
तुमको भुला भी नहीं लाख भुलाया मैंने
मैं परेशा हूँ मुझे और परेशा न करो
आवाज़ न दो
इस कदर जल्द किया मुझसे किनारा तुमने
कोई भटकेगा अकेला ये न सोचा तुमने
छुप गए हो तो मुझे याद किया न करो
आवाज़ न दो
मुझको इस रात की तन्हाई में आवाज़ न दो
आवाज़ न दो आवाज़ न दो
जिसकी आवाज़ रुला दे मुझे वो साज़ न दो
वो साज़ न दो आवाज़ न दो