वो तेरे प्यार का ग़म एक बहाना था सनम
अपनी क़िस्मत ही कुछ ऐसी थी के दिल टूट गया
ये ना होता तो कोई दूसरा ग़म होना था
मैं तो वो हूँ जिसे हर हाल में बस रोना था
मुस्कुराता भी अगर तो छलक जाती नज़र
अपनी क़िस्मत ही कुछ ऐसी थी के दिल टूट गया
वरना क्या बात है तू कोई सितम गर तो नहीं
तेरे सीने में भी दिल है कोई पत्थर तो नहीं
तूने ढाया है सितम तो यही समझेंगे हम
अपनी क़िस्मत ही कुछ ऐसी थी के दिल टूट गया
वो तेरे प्यार का ग़म एक बहाना था सनम