आओ तुम थोड़ा ठहेर जाने के लिए
थोड़ा रुख़ कर, मुझको समझ जाने के लिए
जादूगर तो खुद को, हुमेशा से समझता हूँ
पर जादू होता क्या है, तुम से आज भी सीख रहा हूँ
यह रिवायत जीने घर से निकला था
आज पूरी तुम कर रही हो
सोच में अब मैं यह पढ़ गया हूँ
तुम से मिलना कोई इतेफ़ाक़ तो नही
तुम से मिलना कोई इतेफ़ाक़ तो नही