[ Featuring Ankush Malik ]
लेके जान हथेली पे विदेश में जावें लोग कहँ छोरा तेरा डॉलर कमावे, उन डॉलरां के पाछै की खुबात देख ल्यो I
र 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो, 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो II
कई कई दिन काटे मन्नै पानी के बिचाले , मेरे कितने भाई टापू प शूट होये थे
मां और बाबू की पाटगी थी छाती जब देश छोड़ परदेशां के रूट होये थे,
कई कई दिन काटे मन्नै पानी के बिचाले , मेरे कितने भाई टापू प शूट होये थे
मां और बाबू की पाटगी थी छाती जब देश छोड़ परदेशां के रूट होये थे,
र करमा म म्हारे न फ्रूट होये थे भूखे का सूख गया था गात देख ल्यो
र 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो, 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो II
जंगलां म पड़ी देखी लाश भाइयाँ की, कांप गया था गात सारा हाल देख क,
पानी पी क हम न या रात काट दी बैग के म पाइया पड़ी दाल देख क
जंगलां म पड़ी देखी लाश भाइयाँ की, कांप गया था गात सारा हाल देख क,
पानी पी क हम न या रात काट दी बैग के म पाइया पड़ी दाल देख क
र तरस ना आया म्हारा हाल देख क कैद होई इंडिया की या बारात देख ल्यो
र 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो, 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो II
ठा क जेल क म गेर दिए सारे के र सारे , करमा म जब म्हारे ओले लागे थे ,
11 देश काट क न पहुंचया अमरीका जब जाकै थोड़े म्हारे भाग जागे थे
ठा क जेल क म गेर दिए सारे के र सारे , करमा म जब म्हारे ओले लागे थे ,
11 देश काट क न पहुंचया अमरीका जब जाकै थोड़े म्हारे भाग जागे थे
कई मुड़ क आपणे र देश आगे थे सपन्या प लागी थी र लात देख ल्यो
र 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो, 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो II
16-16 घंटे मनै ड्यूटी र पुगाई कई भाई मर लिए एक्सीडेंट म,
देश छोड़ क न थाम कोई भी ना आइयो, आपणी माटी जिसी खुशबू कोन्या इनके सेन्ट म
16-16 घंटे मनै ड्यूटी र पुगाई कई भाई मर लिए एक्सीडेंट म,
देश छोड़ क न थाम कोई भी ना आइयो, आपणी माटी जिसी खुशबू कोन्या इनके सेन्ट म
म्हारी जिंदगी या लिकड़ी स सारी रेंट म ,आकै बाहण के भी करने पीले हाथ देख ल्यो
र 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो, 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो II
संदीप कालखां तेरे लिखे जज्बात गोची आला गीत सारे दिल त लिखै
रो-रो क न हो ज्यां सं यं आँख कति लाल एक-एक लब्ज कति फील त लिखै
ना कदे कोई गीत वो डील त लिखै, मेरी रोण लागी कलम दवात देख ल्यो
र 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो, 40 लाख दिए थे र किल्ले बेच क, जंगलां म काटी थी वं रात देख ल्यो II