[ Featuring Vishrut Sinha ]
यादें यादें सताती हैं क्यूँ
यादें यादें रुलाती हैं क्यूँ
लम्हा ये तन सा है
वक़्त भी कम सा है
तेरा वो कांधे पे सर रख के सोना
तारों की चादर में रातों को होना
लम्हें वो सारे जो हाथों से छूटे हैं
ऐसे भी क्यों तुम हमसे रूठे
यादें यादें सताती हैं क्यूँ
यादें यादें रुलाती हैं क्यूँ
लम्हा ये तन सा है
वक़्त भी कम सा है
बैठे हैं लेकर हम यादों के धागे
किस्मत से कोई कहो कैसे भागे
बदलोगे ना तुम जो अपने इरादें
कैसे भूलाए किए थे जो वादे
तस्वीर यादों की जब जब रुलाए
खवाइश के आँसू थे हमने मिटाए
धड़कन भी तुमको थहरके बुलाए
मेरी इन आहो को तुम सुन ना पाए
यादें यादें सताती हैं क्यूँ
यादें यादें रुलाती हैं क्यूँ
लम्हा ये तन सा है
वक़्त भी कम सा है