द्रौपदी की पुकार से जग उठा है
जब कृष्ण ने साड़ी का चमत्कार दिखाया है,
धर्म की रक्षा का वचन जो दिया है,
उसके लिए अर्जुन को तैयार किया है।
युद्ध भूमि में जब मचा हाहाकार,
कृष्ण ने दिया अर्जुन को सार,
धर्म और कर्म का ज्ञान दिया था,
कृष्ण की माया ने सब संभाल लिया था।
"सुन अर्जुन, ये धर्म का है खेल,
तू छोड़ दे डर, तू छोड़ ये फैल,
युद्ध है सामने, न्याय का सवाल,
धर्म का है रास्ता, जीत का कमाल।"
"कर्म कर तू अर्जुन, छोड़ सब सोच,
तेरा सारथि हूँ मैं, विजय होगी एक रोज,
कौरवों की सेना से भिड़ तू बेहिसाब,
कृष्ण हूँ साथ, धर्म के लिए युद्ध है जवाब।"
कुरुक्षेत्र में गूँज रहा है रण का शोर,
अर्जुन के हाथों में गांडीव का जोर,
कृष्ण का सार, विजय का द्वार,
धर्म की रक्षा, ये युग का प्रचार।
अर्जुन खड़ा है, सामने हैं सारे भाई,
हाथ में गांडीव, पर मन में घबराई,
कृष्ण ने दिखाया कर्म का मार्ग,
धर्म की जीत में ही है सुख का भाग।
रथ का पहिया घूम रहा है तेजी से,
कृष्ण की बातों से दिल में हैं तेजी के
"अर्जुन! ये युद्ध है न्याय का प्रतीक,
धर्म का पालन ही है सच्चा तरीका।"
"अब समझ गया हूँ, ये धर्म की है राह,
कृष्ण, तेरे संग है मेरी हर चाह,
रक्त बहाना भी धर्म का है काम,
युद्ध भूमि में करूंगा अब कोई ना आराम।"
"गांडीव उठाया, अब रुकना नहीं,
कौरवों को दिखाऊंगा धर्म की ये गिन,
महाभारत का युग, धर्म की जीत,
अर्जुन हूँ मैं, न्याय मेरा मीत।"
कुरुक्षेत्र में गूँज रहा है रण का शोर,
अर्जुन के हाथों में गांडीव का जोर,
कृष्ण का सार, विजय का द्वार,
धर्म की रक्षा, ये युग का प्रचार।
द्रौपदी का श्राप था, भीष्म से पूछा सवाल,
कृष्ण ने दिया उसे न्याय का हलाल,
अब कुरुक्षेत्र में मचेगा हाहाकार,
धर्म का ये युद्ध करेगा सबका उद्धार।
कृष्ण का संदेश, अर्जुन का वचन,
धर्म की रक्षा में लगा हर एक क्षण,
कुरुक्षेत्र की भूमि पर गूंज रहा गान,
अर्जुन की तीर, कृष्ण का महान।