ख्वाहिश का क्या है पता जाती ये दिल से कहाँ
उसके आगे और पीछे पागल ये सारा जहां
कोई माँगे अपनी ज़मीन कोई मांगे ये आसमान हाँ
हम चाहे वो हो करीब वो ढूंढे अपना मकाम
हम चाहे वो हो करीब वो ढूंढे अपना मकाम
हम चाहे वो हो करीब वो ढूंढे अपना मकाम
क्या है कोई आरज़ू गलत
ये उससे पूछो जनाब (जनाब)
कहने को होगा खुदा खुद (कहने को होगा खुदा खुद)
फिर भी ख्वाहिश का ग़ुलाम
हम चाहे वो हो करीब वो ढूंढे अपना मकाम
हम चाहे वो हो करीब वो ढूंढे अपना मकाम
हम चाहे वो हो करीब वो ढूंढे अपना मकाम
हम चाहे वो हो करीब है क्या ये ख्वाहिशे हराम हाँ
हम चाहे वो हो करीब वो ढूंढे अपना मकाम
है किसकी आरज़ू गलत ये किससे पूछें जनाब वो हो
हम चाहे वो हो करीब वो ढूंढे अपना मकाम
है क्या कोइ आरज़ू गलत ये किससे पूछें जनाब