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KKM Video (MV)




Performed By: Pahaad
Featuring: Vaamanthaeli
Length: 3:25
Written by: Vaamanthaeli, Yogesh Dimri




Pahaad - KKM Lyrics
Official




[ Featuring Vaamanthaeli ]

मीठी सी वो बातें थी रोशन रातें भी
अब वो बातें है कहाँ मैं खड़ा यहाँ
मैं खड़ा यहाँ यह ख़यालों का
महेल मेरा हाँ मैं इसके बस में हूँ
यहाँ सुन्न ने को बस मैं
सुनाने को बस मैं
ज़माना ना बस में
गवाने को बस मैं
ही तो हूँ बस मैं हूँ

ज़िंदगी लगे आग सी ये
जलाए जो काग़ज़ नज़मो के मेरे हाँ
क्या मैने पाप किए
हाँ मैने पाप किए
हज़ार रात किए
सपनो को माना जो सच
अपने आप से सवाल मेरे बहोत है
पर दोष दूं किसको
जवाब जो ना पाया खोज मैं
रूह भी आज यह खामोश मेरी
जो कहते थे जाएगी देके सबब मुझे
कराती है आज बैठी यह
सड़क पे मेरे ख्वाबों में
हूँ मैं घूमनाम तब भी सुबा शाम
देखूं खुदको लूट्ट ते यहाँ सारे आम
मेरे लिए यह सब आम
क्यूकी खो दिया जो खुदको
तो पाने को बचा क्या
ढूँढ भी लूँ खुदको
फिर आगे ना जानू मैं करना क्या
लिखना ही तो है ना बस
कहना वो है जो है सच
क्या कछुआ बोल सके
शायद मैं भी ना बोलूं सच
ख़याल मेरे यह उलझे
सुलझाए ना ये सुलझे
तो रहने दिया इन्हे ऐसे ही
अब यह महेल बुनते

टूटा सही मुझे जोड़ो ना
झूठा सही मूह लो मोड़ो ना
जुगनू सी जगमगाती सी
ही इन सब बातों ने
इस डगमगाती सोच को है तोलना
सदमा नही हाँ यह कल्पना है
वक़्त के संग बीते वो दर्द ना है
मैं यह सब लिखने पर दुख में नही
सिखाना कुछ भी मेरा फ़र्ज़ ना है
हालातों की साज़िश यह
के बुझती है हर ख्वाहिश मेरी
जो मांगू जहाँ मचलता हूँ
बिस्तर पे उन्न खटपटी
बातों से जो होती वहाँ
मैं खड़ा यहाँ मैं खड़ा यहाँ
मैं खड़ा यहाँ मैं खड़ा यहाँ
यह ख़यालों का महेल मेरा
हाँ मैं इससके बस में हूँ
[ Correct these Lyrics ]

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मीठी सी वो बातें थी रोशन रातें भी
अब वो बातें है कहाँ मैं खड़ा यहाँ
मैं खड़ा यहाँ यह ख़यालों का
महेल मेरा हाँ मैं इसके बस में हूँ
यहाँ सुन्न ने को बस मैं
सुनाने को बस मैं
ज़माना ना बस में
गवाने को बस मैं
ही तो हूँ बस मैं हूँ

ज़िंदगी लगे आग सी ये
जलाए जो काग़ज़ नज़मो के मेरे हाँ
क्या मैने पाप किए
हाँ मैने पाप किए
हज़ार रात किए
सपनो को माना जो सच
अपने आप से सवाल मेरे बहोत है
पर दोष दूं किसको
जवाब जो ना पाया खोज मैं
रूह भी आज यह खामोश मेरी
जो कहते थे जाएगी देके सबब मुझे
कराती है आज बैठी यह
सड़क पे मेरे ख्वाबों में
हूँ मैं घूमनाम तब भी सुबा शाम
देखूं खुदको लूट्ट ते यहाँ सारे आम
मेरे लिए यह सब आम
क्यूकी खो दिया जो खुदको
तो पाने को बचा क्या
ढूँढ भी लूँ खुदको
फिर आगे ना जानू मैं करना क्या
लिखना ही तो है ना बस
कहना वो है जो है सच
क्या कछुआ बोल सके
शायद मैं भी ना बोलूं सच
ख़याल मेरे यह उलझे
सुलझाए ना ये सुलझे
तो रहने दिया इन्हे ऐसे ही
अब यह महेल बुनते

टूटा सही मुझे जोड़ो ना
झूठा सही मूह लो मोड़ो ना
जुगनू सी जगमगाती सी
ही इन सब बातों ने
इस डगमगाती सोच को है तोलना
सदमा नही हाँ यह कल्पना है
वक़्त के संग बीते वो दर्द ना है
मैं यह सब लिखने पर दुख में नही
सिखाना कुछ भी मेरा फ़र्ज़ ना है
हालातों की साज़िश यह
के बुझती है हर ख्वाहिश मेरी
जो मांगू जहाँ मचलता हूँ
बिस्तर पे उन्न खटपटी
बातों से जो होती वहाँ
मैं खड़ा यहाँ मैं खड़ा यहाँ
मैं खड़ा यहाँ मैं खड़ा यहाँ
यह ख़यालों का महेल मेरा
हाँ मैं इससके बस में हूँ
[ Correct these Lyrics ]
Writer: Vaamanthaeli, Yogesh Dimri
Copyright: Lyrics © O/B/O DistroKid

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