झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी
झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी
कब से आँखों मे लिए बैठा हू सूरत उसकी
झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी
एक दिन मेरे किनारो मे सिमट जाएगी
एक दिन मेरे किनारो मे सिमट जाएगी
ठहरे पानी सी ये खामोश मोहब्बत उसकी
झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी
बंद मुठ्ठी की तरह वो कभी खुलता ही नही
बंद मुठ्ठी की तरह वो कभी खुलता ही नही
फ़ासले और बढ़ा देती है कुरबत उसकी
झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी
किसने जाना है बदलते मौसम का मिज़ाज़
किसने जाना है बदलते मौसम का मिज़ाज़
उसको चाहो तो समझ पाओगे फ़ितरत उसकी
झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी
झील मे चाँद नज़र आए थी हसरत उसकी