तुम सारे आम मुलाकात
से डरते क्यों हो
तुम सारे आम मुलाकात
से डरते क्यों हो
इश्क़ करते हो तो हालात
से डरते क्यों हो
तुम सरेआम मुलाकात
से डरते क्यों हो
ये बताओं तो ज़रा
मेरा ख़याल आते ही
ये बताओं तो ज़रा
मेरा ख़याल आते ही
दिन से घबराते हो
तुम रात से डरते क्यों हो
दिन से घबराते हो
तुम रात से डरते क्यों हो
इश्क़ करते हो तो हालात
से डरते क्यों हो
तुम सरेआम मुलाकात
से डरते क्यों हो
तुम तो कहते हो तुम्हे
मुझसे मोहब्बत ही नही
तुम तो कहते हो तुम्हे
मुझसे मोहब्बत ही नही
फिर जुदाई के ख़यालात
से डरते क्यों हो
फिर जुदाई के ख़यालात
से डरते क्यों हो
इश्क़ करते हो तो हालात
ए डरते क्यों हो
तुम सरेआम मुलाकात
से डरते क्यों हो
मुझसे खुद आ के लिपट
जाना संम्भलकर हटना
मुझसे खुद आ के लिपट
जाना संम्भलकर हटना
तेज़ होती हुई बरसात
से डरते क्यों हो
तेज़ होती हुई बरसात
से डरते क्यों हो
इश्क़ करते हो तो हालात
से डरते क्यों हो
तुम सरेआम मुलाकात
से डरते क्यों हो
तुम सरेआम मुलाकात
से डरते क्यों हो