मरना भी मोहब्बत
में किसी काम ना आया
दी जान मगर दे के भी
आराम ना आया
दी जान मगर दे के भी
आराम ना आया
हाँ कहते है जिसे इश्क़
क़यामत की बला है
शोला है कभी और
कभी बाद ए सबा है
हाँ अश्को का समन्दर
है तो आहो का खज़ाना
सुनते चले आये
अज़ल से ये फ़साना
इस किस्से का लेकिन
कभी अजाम ना आया
इस किस्से का लेकिन
कभी अजाम ना आया
मरना भी मोहब्बत
में किसी काम ना आया
किसी काम ना आया
दी जान मगर दे के भी
आराम ना आया
दी जान मगर दे के भी
आराम ना आया
हाँ मारने की मोहब्बत में
अदा और ही कुछ हे
इस ज़हर के पिने का
मज़ा और ही कुछ है
हाँ मरते है तो मरने की
शिकायत नहीं करते
दिलवालो दिखाने की
मोहब्बत नहीं करते
अब तक तो मोहब्बत में
ये इलज़ाम ना आया
अब तक तो मोहब्बत में
ये इलज़ाम ना आया
मरना भी मोहब्बत
में किसी काम ना आया
किसी काम ना आया
दी जान मगर दे के भी
आराम ना आया
दी जान मगर दे के भी
आराम ना आया
हाँ होता न अगर इश्क तो
दुनिया भी ना होती
जीने की किसी दिल में
तमन्ना भी ना होती
हाँ बिजली में चमक तारो
में ये नूर न होता
लहरों को मचलना
कभी मंजूर न होता
क्या लुत्फ़ जो होठों पे
ये ही जाम ना आया
क्या लुत्फ़ जो होठों पे
ये ही जाम ना आया
मरना भी मोहब्बत
में किसी काम ना आया
किसी काम ना आया
दी जान मगर दे के भी
आराम ना आया
दी जान मगर दे के भी
आराम ना आया
मरना भी मोहब्बत
में किसी काम ना आया