एक सहमे से लम्हे की, बेहकी सी शायरी
कुछ धुंधले नक्शे है
ज़रा खोलो diary देहरादून
अपना शहेर है अपनी सडके
दौड़ ज़रा रफ़्तार पकड़के
दिल है जूनुनी लोग दीवाने
चेहरे सब जाने पेहचाने
सर्द रातों को गर्म बातों को
खुलती राहों को इन निगाहों को
दिन के ढलते ही शाम निकलते ही
मिलता है सूकून
देहरादून है मेरा जुनून
देहरादून सतरंगी सुकून
देहरादून है मेरा जुनून
देहरादून सतरंगी सुकून
देहरादून है मेरा जुनून
देहरादून सतरंगी सुकून
देहरादून है मेरा जुनून
देहरादून सतरंगी सुकून