ज़ेहनों में क्यूँ खामोशी है
मैं हूँ तुम हो मदहोशी है
साँसें हमसे कह लगी
आतीशो सा हाल-ए-दिल है
खुद में ही कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
आतीशो में कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
खुद में ही कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
थोड़ी थोड़ी होने लगी
अवारियाँ
टूटते से तारा के जैसे हम कही आसमा में
डूब जाए हम यूँ
के जैसे कोई रोशिनी है
तेरे मेरे चिंगारियों से
इन अरमानो को
जैसे आज आग पकड़ने को
कहती है फ़नाए
साँसें हमसे कह लगी
आतीशो सा हाल-ए-दिल है
खुद में ही कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
आतिशों में कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
खुद में ही कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
थोड़ी थोड़ी होने लगी
अवारियाँ
खुद में ही कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
आतिशों में कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
खुद में ही कही खो जाए
कुछ हो जाए..अवारियाँ
थोड़ी थोड़ी होने लगी
अवारियाँ