श्यामा आन बसों व्रंदावन में,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में ॥
श्यामा रसते में बाग लगा जाना,
फुल बीनूंगी तेरी माला के लिये,
तेरी बाट नीहारु कुँजन में,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में ॥
श्यामा रसते में कुआँ खुदवा जाना,
मै तो नीर भरुँगि तेरे लिये,
मै तुझे नहलाउँगि मलमल के,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में ॥
श्यामा मुरली मधुर सुना जाना,
मोहे आके दरश दिखा जाना,
तेरी सुरत बसी है अखीयन में,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में ॥
श्यामा व्रँदावन में आ जाना,
आ करके रास रचा जाना,
सुनी गोकुल की गलियों में,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में ॥
श्यामा माखन चुराने आ जाना,
आकर के दही बिखरा जाना,
बस आप रहो मेरे मन में,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में ॥
श्यामा आन बसों व्रंदावन में,
मेरी उमर बीत गई गोकुल में ॥